
अगली सुबह
सुबह के 7 बजे खिडकी से आती धुप सीधे तन्वी के फेस पर आती है जिस से तन्वी की निंद खुलती है । तन्वी को अपनी बोर्डी मैं बहोत दर्द हो रहा था । और तन्वी को अपने पेट के उपर किसी भारी चीज लगती है तब जाके तन्वी अपनी आँखे खोलती है ।
तन्वी जब अपने पेट के उपर किसी का हाथ देखती है तो चौक जाती है । तन्वी फिर जल्दी से अपने आपको और उपने बगल में पेट के बल सो रहे सिद्धार्थ को देखती है । दोनो अभी भी बिना कपड़ो के सिर्फ एक पतली सी ब्लैंकेट में थे ।
अपने आपको इस तरह पाकर तन्वी की आँखो से आंसू गिर ने लगते है । वो अब सब कुछ समज रही थी क्यु उसकी बोर्डी दर्द कर रही थी । वो अब अपने आस पास देखती है तो वो समज जाती है की वो अभी बी कल्ब में ही है ।
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